देवा फाउंडेशन मिशन फॉर मैनकाईन्ड का 11वां देवाकॉन 2024 का आयोजन हुआ सम्पन्न

वाराणसी। देवा फाउंडेशन मिशन फॉर मैनकाईन्ड-वर्ष 2010 में स्थापित ‘धर्मार्थ ट्रस्ट’ मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करता है। प्रत्येक की भांति इस वर्ष भी ट्रस्ट द्वारा 11वां देवाकॉन कांफ्रेंस-2024 का आयोजन आज हेरिटेज पैलेस, कॉटन मिल कंपाउंड, चौकाघाट, वाराणसी में आयोजित हुआ। कार्यक्रम मुख्य अतिथि डॉ॰ प्रो॰ एस॰ एम॰ शंखवार, निदेशक आई एम.एस, बी.एच.यू. और विशिष्ट अतिथि पद्मश्री प्रो. के.के. त्रिपाठी ने उद्घाटन किया। देवाकॉन कांफ्रेंस में देश के सर्वश्रेष्ठ मनोचिकित्सकों द्वारा प्रस्तुत आठ अत्यंत महत्वपूर्ण व्याख्यान थे। सभी अतिथियों का स्वागत डॉ. वेणु गोपाल झंवर (मैनेजिंग ट्रस्टी, देवा फाउंडेशन) एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. मोहिनी झंवर ने किया। पहला सत्र ‘मानसिक स्वास्थ्य पर मधुमेह का प्रभाव’ विषय पर मुंबई के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. मलय दवे ने प्रस्तुत किया और सत्र की अध्यक्षता डॉ. तनु सिंह और डॉ. एस. के सिंह ने की। डॉ. दवे ने कहा कि लगभग हर तीन में से एक मधुमेह रोगी को किसी न किसी प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या होती है। मधुमेह तनाव से जुड़ा हुआ है और अवसाद मौजू

देवा फाउंडेशन मिशन फॉर मैनकाईन्ड का 11वां देवाकॉन 2024 का आयोजन हुआ सम्पन्न

वाराणसी। देवा फाउंडेशन मिशन फॉर मैनकाईन्ड-वर्ष 2010 में स्थापित ‘धर्मार्थ ट्रस्ट’ मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करता है। प्रत्येक की भांति इस वर्ष भी ट्रस्ट द्वारा 11वां देवाकॉन कांफ्रेंस-2024 का आयोजन आज हेरिटेज पैलेस, कॉटन मिल कंपाउंड, चौकाघाट, वाराणसी में आयोजित हुआ। कार्यक्रम मुख्य अतिथि डॉ॰ प्रो॰ एस॰ एम॰ शंखवार, निदेशक आई एम.एस, बी.एच.यू. और विशिष्ट अतिथि पद्मश्री प्रो. के.के. त्रिपाठी ने उद्घाटन किया। देवाकॉन कांफ्रेंस में देश के सर्वश्रेष्ठ मनोचिकित्सकों द्वारा प्रस्तुत आठ अत्यंत महत्वपूर्ण व्याख्यान थे। सभी अतिथियों का स्वागत डॉ. वेणु गोपाल झंवर (मैनेजिंग ट्रस्टी, देवा फाउंडेशन) एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. मोहिनी झंवर ने किया।


 पहला सत्र ‘मानसिक स्वास्थ्य पर मधुमेह का प्रभाव’ विषय पर मुंबई के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. मलय दवे ने प्रस्तुत किया और सत्र की अध्यक्षता डॉ. तनु सिंह और डॉ. एस. के सिंह ने की। डॉ. दवे ने कहा कि लगभग हर तीन में से एक मधुमेह रोगी को किसी न किसी प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या होती है। मधुमेह तनाव से जुड़ा हुआ है और अवसाद मौजूदा मधुमेह को भी खराब कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में 90 करोड़ लोग मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल ने हमारे जीवन और जीने के तरीके को बदल दिया है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ एक बड़ी समस्या है। कोलकाता के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. देबाशीष रे ने ‘स्मार्टफोन की लत को सर्वव्यापी खतरा बताया। अगला सत्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नींद संबंधी विकारों का प्रभाव पर एआईआईएमएस, ऋषिकेश के प्रोफेसर रवि गुप्ता ने बताया हर चौथे व्यक्ति को नींद से जुड़ी कोई न कोई समस्या है। नींद समय से न आने पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया प्रमुख समस्याओं में से एक है। उन्होने बताया 50 वर्ष से अधिक होने पर शरीर में बड़े बदलाव आते हैं। इसे आम तौर पर मिड-लाइफ-क्राइसिस कहा जाता है। इस उम्र में सेक्स के प्रति रुचि, यौन छमता में गिरावट आम बात है। भारत के शीर्ष सेक्स मेडिसिन विशेषज्ञ प्रोफेसर टी.एस.एस. मैसूर से राव ने 60 और उसके बाद के वर्षों में स्वस्थ यौन संबंध अच्छे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य की कुंजी है विषय पर प्रकाश डाला। यौन समस्याओं का भी इलाज सम्भव है। 
 प्रोफेसर सविता मल्होत्रा, निर्वाचित अध्यक्ष, इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी और पूर्व एच ओ डी चंडीगढ़ के पीजीआई से चिकित्सा पेशेवरों के बीच नैतिक जलन और करुणा थकान-आधुनिक चिकित्सा पद्धति के टाले जा सकने वाले प्रतिकूल परिणाम विषय पर व्याख्यान दिया। आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी संज्ञानात्मक गिरावट एक बढ़ती चिंता का विषय है। क्रोनिक तनाव, खराब आहार, व्यायाम की कमी और अत्यधिक स्क्रीन समय जैसे कारक समय के साथ संज्ञानात्मक गिरावट में योगदान कर सकते हैं। एन आई एमएचएएनएस, बैंगलोर से प्रोफेसर नरेन रॉव ने मध्य जीवन में और उसके बाद संज्ञानात्मक कार्यों को संरक्षित करने की रणनीतियाँ, जीवनशैली विकल्प, संज्ञानात्मक प्रशिक्षण और न्यूरोप्रोटेक्टिव दृष्टिकोण विषय पर व्याख्यान दिया। अंतिम व्याख्यान में डॉ. भास्कर ने बताया कि आज की दुनिया में, हर कोई एक आदर्श जीवन जीना चाहता है और इसका एक नुस्खा है अच्छा बढ़िया खाना। विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो मानसिक कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। अन्त में 30 प्रश्नों की एक प्रश्नोत्तरी क्विज मास्टर मुम्बई के डॉ. अविनाश डिसुजा रहे। इनके 950 से अधिक प्रकाशन हैं। प्रश्नोत्तरी मंे कुल 600 डॉक्टरों ने भाग लिया। कार्यक्रम मुख्य रूप से डा॰ आलोक भारद्वाज, डा॰ एनएन त्रिपाठी, डा॰ पवन जिंदल, डा॰ अच्युत पांडेय, डा॰ संजय गुप्ता, डा॰ विभा मिश्रा, डा॰ जेएस यादव, डा॰ हेमंत गुप्ता रहे। देवा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी डॉ. वेणु गोपाल झंवर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सीएमई का समापन हुआ।

https://youtu.be/U0tMQHLMzF4?si=Zf68Ufuktbob2DM1

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